जन्म मृत्यु कुंडली से कैसे जाने

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जीवनशैली | 1.7MB

विवरण

ज्‍योतिषी कोण से मृत्‍यु, स्वामी-ग्रहों की स्थिति,
योगज, अल्पायु योग, मध्यायु योग, पूर्णायु योग,
लग्न में मंगल, राहु-मंगल की युति, अशुभ ग्रह की स्थिति,
शस्त्र से वार, अकाल मृत्यु के योग, बग्लामुखी कवच,
अभेद्य महामृत्युंजय कवच, सर्वजन वशीकरण कवच, सौंदर्य कवच,
आठवें घर में सूर्य, मंगल दुर्घटना का कारण,
बुध ग्रह का आठवें घर में होना, मृत्यु के बाद मिलेगा ये जन्म,
पूर्वजन्म के योग, विशेष योग, मृत्यु से बचाव हेतु उपाय,
वृषिचक लग्न में सूर्य, अश्टमेष निर्बल हो तो,
चन्द्रमा पापग्रह से युत, अश्टम भाव पापाक्रांत,
सिंह लग्न में निबल चन्द्र, भाग्य स्थान में मेश का गुरू,
जीवन से निराष होकर, दुर्घटना में जातक की मृत्यु, धनु लग्न,
मीन लग्न में बुध, कुंभ लग्न में लग्नेष,
मारक दशा मोक्ष दशा नहीं, स्वर्ग प्राप्ति योग,
मोक्ष प्राप्ति योग, नरक प्राप्ति योग,
तिरस्‍कार कराता है सूर्य, कठोर जीवनसाथी देता है मंगल,
विदूषी अर्धांगिनी देता है वृहस्‍पति,
पर‍स्‍त्री में आसक्‍त करता है शुक्र, दुखी करता है शनि,
दो विवाह की आशंका बनाता है राहू, अपमान कराता है केतू,
उत्तराधिकार व अनार्जित धन, अष्टम स्थान तथा दाम्पत्य सुख,
अष्टम भाव तथा नाश, असाध्य रोग, शोध व अनुसंधान,
विपरीत राजयोग, मृत्यु का स्वरुप, आयुष्य का निर्णय,
अष्टम भाव का परिचय, अष्टम भाव का सर्वाधिक महत्व,
प्रवृत्ति तय करती है अगला जन्म, गति विचार, नवमांश फलादेश,
फलादेश मे नवांश का महत्व, मानसागरी अनुसार नवांश फल,
स्त्री जातक विशेष

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नया क्या है जन्म मृत्यु कुंडली से कैसे जाने

उत्तराधिकार व अनार्जित धन, अष्टम स्थान तथा दाम्पत्य सुख,
अष्टम भाव तथा नाश, असाध्य रोग, शोध व अनुसंधान,
विपरीत राजयोग, मृत्यु का स्वरुप, आयुष्य का निर्णय,
अष्टम भाव का परिचय, अष्टम भाव का सर्वाधिक महत्व

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